Photographs: Rural Science Congress: 17th USSTC- 2023 - Uttarakhand State Council for Science and Technology

Photographs: Rural Science Congress: 17th USSTC- 2023

विज्ञान धाम, झाजरा, देहरादून में दिनांक 10 से 12 फरवरी, 2023 तक आयोजित पहली ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस का आज विधिवत् समापन हुआ। इस अवसर पर डा0 प्रेमचंद अग्रवाल, माननीय मंत्री, वित्त, संसदीय कार्य, आवास एवं षहरी विकास, उत्तराखण्ड सरकार विज्ञान कांग्रेस समापन सत्र में मुख्य अतिथि थे। डा0 अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं ग्रामीणों की आजीविका में बढ़ोत्तरी के लिए कार्य कर रही है। राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास आधारित नीतियां बना रही है जो ग्रामीणों के विकास के लिए आवष्यक है। मा0 मंत्री जी ने कहा कि पहली ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस को आगे भी सतत् जारी रखना होगा ताकि इसका लाभ ग्रामीणों को मिलता रहे। माननीय मंत्री जी ने प्राईड ऑफ उत्तराखण्ड एक्स्पो एवं मिलिट उत्सव में राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों से आये विभिन्न सहायता समूहों, कलस्टरों, राज्य एवं केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा लगायी गयी प्रदर्षनी का भी निरीक्षण किया एवं ग्रामीणों द्वारा बनाये गये उत्पादों की सराहना की।

माननीय मंत्री जी ने विज्ञान कांग्रेस के दौरान चयनित युवा वैज्ञानिकों को पुरस्कृत किया – कृशि विज्ञान में कुमारी प्रगति, जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर। जैव प्रौद्योगिकी में बबीता राना, एच0एन0बी0 गढ़वाल विष्वविद्यालय, श्रीनगर एवं अंकिता सिंह, डी0एन0ए0 लैब, देहरादून। वनस्पति विज्ञान एवं पर्यावरण विज्ञान में स्वेता मेहता, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, देहरादून। रसायन विज्ञान में ज्योंति राजपूत, एफ0आर0आई0, देहरादून एवं डा0 तरूण कुमार, एम0आई0ई0टी0, नैनीताल। पृथ्वी विज्ञान में सुनील सिंह, एच0एन0बी0 गढ़वाल विष्वविद्यालय, श्रीनगर। अभियान्त्रिकी विज्ञान में मीनाक्षी पाण्डे, जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर। गृह विज्ञान एवं स्वास्थ्य में आयुषी जोषी, जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर। गणित एवं कम्प्यूटर साइंस में वैभव बिश्ट, जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर। चिकित्सा विज्ञान में डा0 राजलक्ष्मी कुंद्रा, अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान, ऋशिकेष, भौतिक विज्ञान में प्रिया पनेरू, जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर। रूरल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में साक्षी भट्ट, जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर एवं डा0 सुरभी मिश्रा, स्वामी राम हिमालय विष्वविद्यालय, जौलीग्रांट, देहरादून। जन्तु विज्ञान एवं पषुपालन विज्ञान में देवेन्द्र सिंह, एच0एन0बी0 गढ़वाल विष्वविद्यालय, टिहरी गढ़वाल।

बेस्ट स्टार्टअप अवार्ड – अनिता रावत, हैंडीक्राफ्ट स्टार्टअप इण्डिया। बेस्ट स्टॉल अवार्ड (एन0जी0ओ0/ एस0एस0जी0) – रैबार समिति हरिद्वार। बेस्ट स्टॉल अवार्ड (केन्द्र सरकार) – भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून। बेस्ट स्टॉल अवार्ड (राज्य सरकार) – जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर। बेस्ट स्टॉल अवार्ड (टी0आर0सी0) – लक्ष्य सोसायटी, हिंडोलाखाल, टिहरी गढ़वाल। बेस्ट मिलिट उत्सव अवार्ड – श्री विजय जरदारी, बीज बचाओ आंदेलन, उत्तराखण्ड। बेस्ट कल्स्टर अवार्ड – ग्रामोदय सहकारी समिति, जोषीमठ। बेस्ट प्राइड ऑफ उत्तराखण्ड एक्स्पो अवार्ड – ग्रामोदय सहकारी समिति, देवीधुरा, चंपावत। बेस्ट ऑवरऑल स्टॉल अवार्ड – जी0बी0 पंत कृशि एवं प्रौद्योगिकी विष्वविद्यालय, पंतनगर।

पद्मभूशण डॉ0 अनिल जोशी ने कहा कि जीडीपी का केन्द्र गांव हैं। लेकिन हमें सोचना होगा कि गांवों के पीछे छूटने का क्या कारण हैं? हमारे गांव के पीछे छूटने के कारण है सुविधाओं का अभाव होना, नॉलेज का अभाव होना। सबने प्रयोग किए हैं लेकिन बड़ी चुनौती है। आज इस देश के लिए और गांव के लिए चुनौती है कि कैसे हम अपने आप को स्थापित कर सकते हैं और अभी जो मुझे लगता है कि सारी दुनिया जब व्यथित हो रही हो और इस बात की चिंता यूनाइटेड नेशन में भी हो कि हवा, मिट्टी, जंगल पानी का क्या होगा। हवा, जंगल, पानी का स्त्रोत गांवों से है। लेकिन सवाल यह है कि फैशन बतौर घर गांवों में एक पेड़ लगा देते हैं लेकिन क्या वो एक पेड़ इस देश की हवा को बेहतर कर पायेगा? नहीं! ल्ेकिन गांव ही होंगें जहां से सब कुछ तय होगा। पेट-पानी के सवाल गांव से ही होंगे।

प्रो0 दुर्गेष पंत, महानिदेषक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिशद द्वारा बताया गया कि इस ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस में स्वयं सहायता समूहों, गैर-सरकारी संगठनों, महिला सहकारी समितियों आदि से राज्य के साथ-साथ सीमांत राज्यों से प्रतिभागियों ने भाग किया। प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण मिलेट उत्सव था, जिसमें मिलेट के कई उत्पादों और मिलेट आधारित पोशक तत्वों से सम्बन्धित सूचनाओं एवं मिलेट से तैयार उत्पादों को भी प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा हस्तशिल्प वस्तुओं, लकड़ी के क्राफ्ट, मूल्य वर्धित उत्पादों, दालों, पारंपरिक शिल्प और खाद्य प्रसंस्करण आदि तकनीक भी प्रदर्शित की गयी। एक्सपो के दौरान राष्ट्रीय और राज्य विभागों के कई स्टॉल भी प्रस्तुत किए गए थे। पूरे भारत से चयनित 10 सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी अन्वेषकों के स्टॉल थे जिन्हें एक्सपो के दौरान प्रदर्शित किया गया। लेह और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य हिमालयी राज्यों के स्टॉल भी एक्सपो का मुख्य आकर्षण थे। संवाद सत्र के दौरान हमने बाजरा, सकल पर्यावरण उत्पाद और पारिस्थितिक उत्तरदायित्व पर चर्चा की। ग्राम चौपाल के दौरान पूरे हिमालयी क्षेत्र के लिए आवश्यक चुनौतियों और नीतियों पर चर्चा हुई। गांवों के किसानों और उद्यमियों के बीच संवाद स्थापित हुआ जिसमें विभिन्न जिलों की सफल कहानियों पर चर्चा की गईं।

डा0 अपर्णा षर्मा, कार्यक्रम सचिव ने विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों के लिए अन्तर्राश्ट्रीय दिवस एवं सषस्त्र बलों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की उभरती भूमिका पर आयोजित किये गये सत्र के बारे में जानकारी साझा करने के साथ ही कार्यक्रम कें अंत में धन्यवाद ज्ञापन दिया।

प्रथम ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस क्यों महत्वपूर्ण –
पहली बार देश दुनिया में हुई ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस ने कई तरह के रास्ते तैयार किये जिसमें गांव की सीधी भागीदारी विज्ञानियों के साथ हुई। वहीं विज्ञानियों की आने वाले समय मे किस विषय पर बात होनी चाहिए इसको लेकर यह समागम हुआ। जहां गणित की बात हुई वहीं दूसरी तरफ घर गांव संसाधनों की भी बात हुई। जहां नीतिकारों, विज्ञानियों को यह संभावना दिखाई दी कि इस राज्य के आर्थिकी की ऐसे आधार खड़े करने होंगे कि कैसे रोजगार को पनपाया जाए। हम देश दुनिया के जितने भी उदाहरण को देखते हैं उनमे से कई देश चीन, अमेरिका, आस्ट्रेलिया जहां पर स्थानीय संसाधनों और ज्ञान पर आधारित रोजगारों पर सबसे बड़ा परिवर्तन किया गया, उसकी समझ इस ग्रामीण कांग्रेस से निकल कर आई है, इसका रास्ता भी ग्रामीणों ने दिखाया। सबसे महत्वपूर्ण यह दिखाई दिया कि यह पहली बार हुआ जब ग्रामीणों ने सरकार को, विज्ञानियों को, नीतिकारों कों रास्ता दिखाया है उत्तराखंड के विकास का, जहां एक तरफ प्राकृतिक संसाधनों, पानी की, पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय नवाचारों की बात हुई। इन सबको एक बड़े पटल पर लाने की शुरुआत ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस ने की। एक पहल के रूप मे यह परम्परा लगातार बनी रहेगी। नीतिकारों को यह समझना होगा कि यूकॉस्ट जैसे संगठनों को विज्ञान आधारित स्वरोजगार केन्द्रो मे स्किल डेवलपमेंट करने की रणनीतियां तैयार करनी चाहिए और इसमें पहली बात महसूस हुआ कि वैज्ञानिक संस्थान अलग रहते हैं और ग्रामीण की प्राथमिकतायें और आवष्यकताएं अलग रहती हैं और उन पर आधारित जो रोजगार की संभावनायें होती हैं उनमें आपसी मेल-मिलाप नहीं होता है जो इस ग्रामीण विज्ञान कांग्रेस ने जताया है। दूसरी महत्वपूर्ण बात कि युवाओं को बेहतर स्थान उनके कार्यों को बेहतर करने का रास्ता यूकॉस्ट दिखा रहा है। इस बार युवाओं ने ग्रामीण विज्ञान पर ज्यादा झुकाव दिखाया क्योंकि विज्ञान की परिभाशा में सिर्फ चमत्कार ही नहीं होते अपितु इस कार्यषाला से निकलकर आया कि गांवों की बेहतरी के लिए विज्ञान ही रास्ता